कमला दत्त की कहानियाँ अभिशप्त पात्रों का संसार
डॉ. कमला दत्त के सद्यः प्रकाशित कहानी संग्रह विविध स्तरों को सामने लाती हैं।कहानियों का रचाव इन्हें विशिष्ट बनाता है। लेखिका बड़े कौशल से बतकही-सी करती हुई पाठक को पात्रों के मन की यात्रा पर ले जाती है और वह बिना झटके के कहां-कहां से गुजर जाता है।
लेखिका ने कहानियों में प्रतीकों का चयन प्रकृति जगत से किया है। पशु-पक्षी एवं पेड़-पौधे जीवन का सहज अकृत्रिम रूप कहे जा सकते हैं। इस सहज प्रकृति में भी कितनी विविधता, हिंसकता एवं सौन्दर्य मौजूद है, इसकी एक झलक इन कहानियों में विन्यरत प्रतीकों के माध्यम से मिलती है। इसका श्रेय लेखिका के वैज्ञानिक होने को दिया जाना चाहिए। ‘मछली’ में संबंधों में व्याप्त हिंसकता को लेखिका ने प्रकृति जगत से एक उदाहरण देकर उकेरा है-
‘लड़की भरपूर गंधों वाले रिश्ते चाहती है पर लड़की को मिलते हैं अंजीर की किस्म के रिश्ते, एक अंजीर की किस्म होती है जो अपनी जिन्दगी के पहले कुछ साल अपनी सारी जरूरतें पूरी करती है एक पाम की किस्म पर। और कुछ साल पाम पर जीने के बाद अपनी जड़ें जमीन में छोड़ने से पहले वह पाम को कसकर घोट देती है और अंजीर की इस किस्म को कहते हैं फांसी लगाने वाली अंजीर और ट्रेजडी यह है कि अंजीर की यह किस्म फल भी नहीं देती।’