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मछली
लड़की घुटनों के किनारे समुद्र के किनारे बैठी है,और कभी हवा में दोनों बाँहें फैला देती है और कभी झुककर समुद्रतट से कुछ उठा लेती है। लड़की जैसे खुद से बाते कर रही है या हवा से बाते कर रही हैं। सुबह का समुद्र अशान्त है। पर लोग दूर-दूर तक नही,लहरें तट पर आ-आकर लौट रही हैं। दूर तक सिर्फ वह,उसका साथी और उनके पीछे एक बूढ़ा जोड़ा ।एक दूरी बराबर कायम है।उन दोनों और उस बूढ़े जोड़े के बीच इस तरह चलने से दूरी कायम रहती है,सीमा निर्धारीत हो जाती है, जानवर मल-मूत्र बिखेर अपनी सीमा निर्धारीत करते हैं।इंसान समझदार होगया है इसलिए सलीके और तरीके से काम लिया जाता है।जैसे कि इस रफ्तार से चलना कि आप चलें तो हर कदम,पर फासला बना रहे।
लड़की न तो पागल दिखती है न ड्रग ऐडिक्ट।लड़की का रंग सावला है पर वह काली नही दिखती।लड़की जो दूर से बच्ची-सी दिख रखी थी,अब ज्यादा उम्र की दिखने लगी है।लड़की सादे लिबास में है।उसके बाल काले और कटे हैं।जीन्हें वह जब तब हाथों से माधे और कानों के पिछे धकेल देती है।लड़की सफेद नहीं लड़की काली भी नहीं, किस मुल्क की है, यह अन्दाजा लगा पाना आसान नहीं।लड़की अमेरिकी,यूनानी,लेबनानी,फिलिस्तानी,पाकिस्तानी,या हिन्दुस्तानी कुछ भी हो सकती है।
लड़की का चेहरा ऐसा है कि आपकी किसी पुरानी प्रेमिका या बहन या दोस्त के चेहरे से न मिलने पर भी उनमें से किसी एक की या सभी की याद दिला दे और आपको लगे आपने पहले कभी उसे देखा है।लड़की का इस तरह उनके अस्तित्व को नकारना उन्हे उकसा रहा है और यह
खयाल भी उनके ज़हन में बराबर है कि कहीं कोई आंतकवादी ही न हो। वो जल्द-जल्द कदम बढ़ा उसके पास पहुँच जाते हैं।वृद्ध और वृद्धा जो अब अपनी सीमा बनाये थे अब उनके साथ कदम मिलाकर चलने लगे हैं।जैसे वो चार इकट्ठे होंगे तो खतरा कम हो जायेगा। लड़की की उम्र 35 से लेकर 50 तक कही भी हो सकती है ।उन औंरतों में से है जो जवानी में जवान नही लगती और बुढ़ापे में बूढ़ी नहीं। उनमें एक तरह की स्थिरता रहती है जो जवानी को भी नकारती है और बुढ़ापे को भी ।अब वह लड़की एक दम करीब है।लगता है लड़की दोनो बाँहों में किसी चीज को घेरे है।उसे न जाने क्यों वह लाशों को घेरे बिलाखती फिलीस्तानी माँओं की याद दिला देती है।दो कदम चल, रुक,खतरे ज़ायजा ले,रुक चल,कर वे लड़की के एकदम करीब पहुँच गये है।अब ने लड़की एक दम सर पर खड़े हैं।देखते है लड़की एक अधनुची मछली को घेरे है। मछली अजीब तरह से नुची हुई हैं।मछली के सिर और रीढ़ की हडियाँ कायम हैं और सिर के हिस्से का माँस बुरी तरह से नुचा हुआ है और जरा से माँस का लौथड़ा अभी तक वहाँ लटक रहा है।लगता है मछली अपनी मौत से नही मरी उसे लौच लौच कर मारा गया है।न जाने क्यों वह यकायक सोचती है-क्या मछली के खून का रंग लाल होता है।बिना कुछ कहे ये चारों सोचते है (वह,उसका दोस्त और वह वृद्ध जोड़ा) कि उनके साथ छल किया गया है ।कोई मेरे बच्चे की लाश होती या कोई मरा कुत्ता बिल्ली या किसी आत्महत्या करने वाले के कपड़े,पर अधखाई मछली पर झुकी इस औरत उनके साथ छल किया है।कुछ पल पहले उनका यह सोचना कि वह पागल नहीं है,वह गलत था।वह या तो पागल है,या ड्रग एडिक्ट या शराबी या आंतकवादी भी हो सकती है। वह उसके पास से एक दम हट चलने को हैं तो वह मुँह खोलती है।
वह अधखाई मछली को उलट उसके दाँतों की कतारें दिखा बड़े आदाज़ से कह रही है ‘क्या आप नही समझते इस तरह के कतार वाली मछलि वही है,इस तरह दाँतो की शक्ल और कतारें सिर्फ उसी मछली की रहती है।अब वे अश्वस्त है कि लड़कि ने उनके साथ छल नही किया।वह सच मुच त्रस्त है।उसने ही पहले कहा था टूरिस्ट डिपार्टमेंट तो कहता है कि मछली की वह किस्म यहाँ होती ही नही हैं।टूरिस्ट डिपार्टमेट ने यह झूठा दावा कैसे कर डाला । इस तरह यात्रियों को पूरी जानकारी न देना गलत नही क्या ? क्या टूरिस्ट डिपार्टमेट ने जानबूझ कर ऐसा किया है।क्या सचमुच मछली की वही किस्म है।यह लड़की से छानबीन करने वाले दरोगा की आवाज में यह करती है, ‘क्या तुम्हे पूरा यकीन है कि वह उसी मछलीकी किस्म है।‘ लड़की उसका सवाल उसी पर फैकती है-‘क्या तुम लोग नहीं समझते कि यह सिर्फ मछली की किस्म है ?मछली का नाम उनमें से कोई नही ले रहा । जैसे नाम लेते ही आंतक फैल जायेगा।और नाम लेने का मतलब हुआ स्थिती को स्वीकारना,न नाम लेकर पूरी स्थिती को नकार सकते हैं।और लड़की ही यह भोलेपन का नाटक क्यों कर रही हैं ? लड़की जंतु विज्ञान की प्रोफेसर है और मछली की किस्म खुब अच्छी तरह से जानती है। इस तरह दाँतों की कतारे और शक्ल सिर्फ उस मछली की होती है।दूर समुद्र तर पर कुछ और लोग दिखने लगे है।वे चारों अब लड़की से नाराज दिखते हैं।क्या जरुरत थी सुबह सुबह इस शान्त वातावरण को भंग करने की । दूर के लोगों को पास आता देख वे ज्य़दा ही फुसफुसाने लगते हैं।वैसे खतरा है तो लोगों को बताना ज़रुरी नहीं क्या ?
फिर अपनी बात खुद ही काटते है-जब टूरिस्ट डिपार्टमेट कहता है कि मछली यह किस्म नहीं होती तो नहीं होगी।क्या हक़ है हमें अफवाह फैलाने का । का और इस अधखाई मछली से इतनी बड़ी बात का निर्णय करना क्या आसान है? लड़कीया उंगलीयाँ फैर रही है।उनको इसतरह ऊँचा बोलते देख और पूरा का पूरा गुस्सा उस पर उतरते देख लड़की घुटनों को छाती से चिपका एक छोटी सी बच्ची में बदल जाती है।अब वह आँख उठाती है तो स्थिती प्रेमिका की तरह नहीं पर बारिश में भीगी बीमार बिल्ली की तरह दिखती है और उनकी हाँ मिलाकर कहने लगी है-हाँ आप ठिक कहते हैं, और हाँ,यह भी हो सकता है कि यह उसी मछली की किस्म थी भटक कर समुद्र के इसतट पर आ गयी अब खत्म हो गयी या कर दी गयी और अब कोई खतरा नहीं ।
अब फुसफुसाहटों में बातें करते हुए जैसे वे एख षड्यन्त्र में शामिस थे और लगभग भागते हुए वे लड़की के पास से हट जाते हैं। जैसे अगर वे उसके पास खड़े रहेंगे, और दबी ज़बान में उनमें से किसी ने कहा था कि वे टूरिस्ट डिपार्टमेट को खबर कर देंगे।यह कहते और सुनते हुए वे सभी जानते थे कि उनमें से कोई टूरिस्ट डिपार्टमेट को खबर करने वाला नहीं। वह फिकरा सिर्फ उन झुठे फिकरों में से था जो सिर्फ कहने के लिए कहा जाता है और सच्चाई में उसकी कोई अहमियत नहीं रहती ।ठीक चाँद-सितारे तोड़ लाने का वादा करने वाले प्रेमियों की तरह और यहाँ तो इरादा तक नहीं।पर उनका सम्मिलित गुस्सा था लड़की पर,क्या जरुरत थी उसे सुबह-सबह यह छानबीन शुरु करने की,वह सब लड़की से नाराज हैं।उनका वस चलता तो उसे डाँट कुर वहाँ उस मछली के पास से भगा देते।कुछ भयानक सा लड़की के प्रति उसके जहन में आता है।उसके जहन में आता है उस शहर का वाकया जब ईरानियों ने जब अमरीकी बधक लिये थे तो उनके शहर में आये नये पाकिस्तानी को कुछ लोगों ने चाकू से मारा था। वह तो गमीनत है कि नो पाकिस्तानी चाकू के निशान लेकर बच गया,मारने वाले नौशिखे थे।
लड़की अभी उसी जगह बैठी है और अपने से बाते कर रही हैं। लड़की सोचती है –दाँतों की कतारों से और बची हडियों से आप लड़ाई में मारे गये सिपाहियों की पहचान कायम कर लेते हैं और जीवाश्मों के निशानों से हजारों वर्ष किस्म क्यों नहीं निर्धारित कर पाते। लड़की फिर अपने से हवा से बातें करने लगती है।लड़की के चेहरे और आवाज में रुलावट है।यह रुलावट मछली की मौत और किसी आने वाले आंतक के भय स नहीं, लड़की शायद किसी की मौत के बाद समुद्र पर आई हैं। आदमी की मौत पर उसका अच्छा बुरा सभी कुछ याद आता है और आदमी सपनों की मौत पर,रिश्तो की मौत पर आदमियों की मौत से ज्यादा दु:खी हो सकता है ।वैज्ञानीक कहेंगे कि जब आपकी जिन्दगी दु:खों से भरी होगी तब उनसे बचने के लिए,उस जिन्दगी को झेलने की हिम्मत पैदा करने के लिए आपके सपने उतने ही सुनहले और रंगीन होजायेंगे और जब आपकी जिन्दगी भरपूर होगी तो इस डर से कि वह जिन्दगी खत्म न हो जाये और आप हकीकत से जुड़े रहें।आपके सपने डरावने या अस्थिर हो जायेंगे।सपनों की विजय आपकी अकुलाहट,हीनता और खालीपन को भर देगी।आफ सोचेंगे कि इस कहानी में अब तक इस बात का जिक्र तो आया ही नहीं कि लड़की के सपने सुहावने है या डरावने। और लड़की कहेगी कि उसे सपने आते ही नहीं ।।और वह सपने लेती ही नहीं और वैज्ञानिक कहेंगे कि लड़की के सपने इतने भयावने या खुशहाल हैं कि वह उन्हें याद रखने से इन्कार कर देती है।आप यह भी सोचेंगे कि लड़की की जिन्दगी में कभी सुनहले सपने आये थे और सपनों में या हकीकत में कभी कोई राकुमार आया था। लड़की कहेंगी मुझे सपने आते ही नहीं,मैं सपने लेती हूँ सिर्फ उस अवस्था में जब न मैं सोती रहती हूँ न जागती और लोग कहेंगे लड़की ने अपनी आधी से ज्यादा जिन्दगी अर्धनिद्रावस्था में गंवा दी है जहाँ न वह सोयी रही है न जागी। लड़की अभी अपने में खोयी है और उदास है।और लड़की जब दु:खी है तो जी भरकर।लड़की रोती है तो लगातार आँसू बहते रहतें हैं वह पोंछती नही,रोकती नहीं।लड़की जब हँसती है तो उसका पूरा जिस्म हिलता है।लड़की एक जमाने में खूब ठठाकर हँसा करती थी।इन दिनों लड़की हफ्तों,महीनों,सालों नहीं हँसती।जब लड़की बहुत दु:खी होती है तो अपने को हर किसी से खीच लेती है।एक दिवार सी खड़ी कर लेती है।वैसे लड़की का अपना सपनों का महल है।आप सोचेंगे कि लड़की के सपनों के महल में कोई राजकुमार आता है।क्या वह रुकता है।लड़की कहेगी एख ज़माना था लड़की के सपनों के महल में ढेरों राजकुमार आते थ।रुकते क्या पीछा भी नहीं छोड़ते थे।,आप कहेंगे-नही-नही लड़की की जिन्दगी में कोई राजकुमार आया नही,रुका नहीं,और लड़की कहेगी अब जो आते हैं वे राजकुमार कहाँ होते है।आप कहेंगे-आया नहीं,रुका नहीं और लड़की कहेगी कौन कैसा राजकुमार।।सच्चाई क्या है कौन जानेगा ?
आप कहेंगे राजकुमार का सपना देखने वाली ही लड़की कहाँ की राजकुमारी है।लड़की खूब हाथ हिलाकर ,जिप्सियों की तरह बात करेगी वैसे लड़की खानदानी है।उसमें यह जिप्सी खून कहाँ से आ गया ?वैसे लड़की बीमार दिल्ली की तरह इधर-उधर पड़ी रहेगी।लड़की खुलकर जीती नहीं।लड़की खुल कर रोती नहीं।लड़की ठहरी हुई नदी पर,लड़की चल भी नही रही।लड़की का सब कुछ थम गया है। जैसे कहानी के शुरु में कहा जा चुका है लड़की किसी मौत के बाद लौटी है।वैसे मौत आदमी की भी हो सकती है और किसी रिश्ते की भी।आप कहेंगे कैसा पागलपन है रिश्ते और आदमी की मौत एक कब हुई।पर जिस स्तर पर लड़की जीती है उस स्तर पर आदमी और रिश्ते की मौत एक कब हुई।पर जिस स्तर पर लड़की जीती है वहाँ आदमी और रिश्ते की मौत एक ही रहती है। अब देखिए न,लड़की की हर चीज कैसी बुझी –बुझी है वरना मछली को लेकर कोई इतना बड़ा बवंडर माचाता ?ऐसा भी क्या रोना,जैसा ऊपर अभी कहा जा चुका है, कि लड़की की हर चीज बुझी-बुझी है वरना मछली को लेकर कोई इतना बड़ा बवंडर मचता ? लड़की की ख्वाहिशें,उसकी इबादतें, उसकी खुशियाँ,उसके गम ,सभी बुझे बुझे हैं।जैसे कहानी के शुरु में बताया गया है ,मछली पर झुकी वह औरत बेघर लाशों पर झुकी पिलीस्तानी माओं की याद दिलाती है और अब लगता है जैसे वह अकालग्रस्त इथोपियन माँ हो।इन दिनों सड़की कई कुछ के लिए रोती है।
लड़की रोती है
उदास प्रेमियों के लिए
छोडी गयी बीवियों के लिए
लड़की रोती है
आहत पतियों के लिए
लड़की रोती है
बेघर फिलीस्तानियों के लिए
लड़की रोती है
अभावग्रस्त हिन्दुस्तानियों के लिए
और लड़की रोती है
सबके लिए
अपने लिए
लड़की रोती है महज़ रोने के लिए
लड़की के बेवजह रोने को देख वैज्ञानीक कहेंगे कि उसमें कोई रासायनीक विकृति है।वैज्ञानिक कहेंगे कि अवसाद की जीन क्लोन कर लेने पर उसका इलाज निकल आयेगा ।क्या वैज्ञानिक किसी दिन बेवजह रोने वाले,लोगों की, खास रोने वाली जीन का पता लगा लेंगे? तब लड़की के बेवजह रोने का क्या होगा।तब तो लड़की रो भी नही सकेगी।
हाँ,जैसे कि पहले बताया जा चुका है एक जमाने में लड़की खूब हँसती थी।और एक जमाने में तब वह किसी कमरे में घुसती तो लोग सचमुच रुककर उसे देखते थे और उसकी आवाज़ का जादू कई लोगों पर बरसो तक झाया रहा।लडकी उन लोगों में से है जिनकी हर चीज में नाटकीयाता रहती है।एक वक्त था जब लोग उसकी हरकतें और बोलने का अंदाज हर किसी को खिंचता था।फिर बरसो पहले लड़की ने अपनी नाटकीयता भी छोड़ दी । कोई उसकी ओर देखे,सुने,शायद किसी बात का कोई मायने ही नहीं रहे किसी बात के।और अब लड़की की जिन्दगी और सपनों में आने वाले लोग शायद लड़की को एकदम बेमाने लगते हैं जिनके लिए नाटक का जुगाड करना भी जरुरी नही।लडकी में गुलामों की अकर्मण्यता भर गया है ।पर जीने के लिए तो कुछ और चाहिए ।सफेदों व्दारा नकारे गुलाम धीरे-धीरे अपने को खत्म करते हुए कभी शराब से,कभी ड्रग्स से और कभी हिंसा से।हाँ,लोग यह भी कह सकते हैं कि लड़की कहेगी जो आते हैं वे राजकुमार कहाँ होते है और उन्हें रोकने की मै कब कोई कोशिश करती हूँ।इसतरह सभी का भ्रम कायम रहेगा।लड़की का लोगो का ।वह चहेगी कौन? कैसा राजकुमार ?और लोग कहेंगे रुका नहीं ,नहीं रुका नहीं। सिर्फ लड़की ही जानेगी कि राजकुमार के भेष में आये हुए भी राजकुमार कहाँ थे। कहाँ होते है? दो आये थे राजकुमार से दिखने वाले पर कहाँ निकले राजकुमार वे भी।फिर एक काला साँवला सलोना आया था। पर उसके पिछे इतने सफेद राजकुमारियाँ थीं की वह रुका नहीं।हाँ सचमुच नही रुका ।।
लड़की वैसे सपनों में अब भी जब तब राजकुमार तलाशती रहती है। पर राजकुमार से दिखन वाले भेदियों से बचने के लिए सही राजकुमार की तलाश में लड़की ने अपने घर को किले में तब्दील कर लिया है।जिसे आम आदमी लाँघ नहीं पाते और राजकुमार नकारते हैं।यकायक लड़की अपना हाथ मछली को छू नाक तक ले जाती है। इस तरह नुची मछली में अब मछली गंध भी बाकी नहीं रहीं।अब मछली में समुद्री कोई और बाकी समुद्री जानवरों की गंध की बात सोचते ही आचानक लड़की की ध्यान बिस्तरे के उस मुचड़े हिस्से के चादर तकिये की याद दिला गया।लड़की सोचती है आचानक उसकी याद कैसे आ गयी।उसी याद के साथ बिस्तर का आधा हिस्सा,मुचड़ा हिस्सा और उसके साथ जुडी वह गंध जो हफ्तों बिस्तर पर कमरे में मछली-गंध का न होकर समुद्री गंध का होना और समुद्री गंध के साथ उसकी गंध आ जुड़ना बिस्तर का वो आधा मुचड़ा हिस्सा।
जो लोग अभी मछली को ले उसके साथ एक साजिश में शामिल हो चले हैं और सीपियाँ जो लहरों के थपेड़ो से बच गयीं उनके पैरों तले आ कुचल गयीं ।क्या लोग ध्यान रखते है कि सीपियाँ जानवरों के खाली घर हैं और घर बनाने की ख्वाहिश आदमी की सबसे पुरानी ख्वाहिश है।लड़की बार –बार मछली को छू अपना हाथ सूंघती है जो उसे समुद्री गंध से बिस्तर तक ले जाता है और बिस्तर के साथ वह गंध हफ्तो तक कायम रही थी।लड़की ढेरों भ्रम पाल लेती है जैसे अभी कुछ देर पहले इन लोगों से मिल उसने पहली ये भ्रम पाला कि वह मछली है ही नहीं और अगर है तो एक अकेली यहाँ भटकर आ गयी थी और खत्म हो या कर दी गयी और मछली की वह किस्म समुद्र के इस भाग में है ही नहीं ठीक इसी तरह के झुठ और भ्रम लड़की जब तक पाल लेती है ।सभी को अपना और ठीक मान लेती है जैसा की पहले आप जिक्र न होने पर भी आप समझ चुके होंगे कि लड़की बेहत रुमानी है ।एक बार रुमानी मुड़ में आ लड़की ने एक बड़ा प्यारा ऐन्टीक बेड खरीद डाला था और उस पर निहायत सुंदर रेशमी चादरें बिछा दी थी।वह पलंग कई बरसों खाली रहा क्योंकि लड़की ने राजकुमार के इंतज़ार में अपने घर को किले में तब्दील कर दिया था।और किले के दरवाज़े को आम लोग न खोल पाते थे न तोड़ पाते थे । लड़की की खामियों में एक खामी यह भी थी कि जिस स्तर पर जिस नाटकियता में वह जाती थी वहा राजकुमारी न होने पर भी अपने को राजकुमारी समझती थी, मानती थी।वैसे आप मानने को कुछ भी मान सकते हैं।आपके मानने से वह हकीकत तो होने से रहा । जैसे कि पहले बयान हो चुका है लड़की का वह ऐन्टीक बेड और चादरें अरसे तक अछूते रहे थे फिर तीन दिनों या बहत्तर घंटे लड़की ने उसमे एक झुठ जीया और फिर तीन दिन बाद वह उस तकिये और बिस्तर पर सिर रख कई दिनों तक बहुत रोयी थी। और उस गंध को महसूसा था । वैसे आप समझ चुके हैं कि लड़की को बेवजह रोने की आदत है।हाँ, तो लड़की कहेंगी उसने वह गंध बहत्तर घंटे बाद भी महसूस की।
लड़की कहेगी मछली गंध से उस गंध का क्या वास्ता और वैज्ञानिक कहेगे कि हर गंध का हर दूसरी गंध के साथ वास्ता रहता है और उसका काला राजकुमार-सा दिखने वाला दोस्त कहेगा पूरी की पूरी लड़ाई गंधो की है।लैबोरेटरी में अगर आप नर चूहे पर मादा के फेरोंमोस लगा उसे नर चूहों के पिंजरे में धकेल दें तो न चूहे उसे मादा समझ नोच-नोच कर वार कर करके उसे खत्म कर देंगे । एक तरह से सारा का सारा झगड़ा गंधो का है और उसका काला राजकुमार दिखने वाला दोस्त कहेंगा दक्षिण अफ्रीका की सारी पाश्विकता की वजह है गंध। काली औरतों की गंधों पर आसक्त पगलाये सफेद आदमी और काले मरदों की दीवानी सभी सफेद औरतें।अगर काले-सफेद इन गंधों को नकारने के बजाय मिलने दें तो सारी की सारी पाश्विकता से मुक्त हो जायेंगे । रंगों का भेद खुद-ब-खुद मिट जायेगा।
लड़की,औरत भरपूर गंधो वाले रिश्ते चाहती है और लड़की को आमंत्रण मिलते हैं गंधहीन रिश्तों के जो लड़की चाहती नही,झेल नही पाती।लड़की को मिलते हैं,बीवीयों की गंधों से उकताये नयी गंधो की चाह करते पति।
सड़की सोचती है आचानक जां.पां.की गंध हवा में कैसे तैर गयी और उस गंध के साथ जुड़ गया बिस्तर का वह मुचड़ा हिस्सा।औरत सोचती है नही गंधो को जीने के बाद यह लोग अपनी बीवियों के पास जाते होंगे तो क्या उन गंधों से मुक्त हो पाते होंगे ।औरत अपने को ऐसे रिश्तों से हमेसा बचाये रखती हैं।हाँ, उस व्यक्ति का,जिसकी कहानी में पहले जिक्र हो चुका है, जिसका वास्ता बिस्तर के उस मुचड़े हिस्से से है,और जिसकी गंध मछली की समुद्री गंध से जुड़ी है, औरत को एक मीटिंग में मिला था।औरत भरपूर गंध वाले रिश्ते न पाने पर बिना रिश्तों के जीने का इंरादा कर चुकी थी। ऐसे में वह उसे एक मीटिंग में मिला था,लगा था वह गंधहीन हैं और किसी गंध से जुड़ा नहीं, और फिर मीटिंग में जहाँ तहां उसके साथ जुड़ गया था। बाते हुई थीं उसकी पिछली बीवी की गंध की…और उसकी पुरानी वैज्ञानिक प्रेमिका की जिसे लिए उसने जर्मनी से बैक्टीरिया की छब्बीस किस्में फ्रांस में रातो रात स्मगल की थीं, रातों-रात अगर गाड़ी रोक ली जाती या दुर्घटना हो जाती तो एक जर्मयुद्ध हो सकता था।गमीमत है कि दुर्घटना नहीं हुई और सीमा पुलिस पर किसी ने रोका नहीं और फिर बातें हुई थी उसके नर्वस ब्रेकडाउन की और नर्वस ब्रेकडाउन के बाद जब वह अस्पताल में था तो वहाँ एक लेखिका से कैसे उसका लगाव हो गया । वह लेखिका शादीशुदा थी और जब उसके रिश्ते की ख़बर उसके ड़ाँक्टर पति को हुई तो कैसे उसने उसे बीस मील दूर एक दूसरे हाँस्पीटल में पहुँचा दिया था और कि वह जां.पां.कैसे साइकिल किराये पर लेकर रातों-रात उस तक पहुँचाता था।लड़की सोचती है उस शादीशुदा लेखिका की गंध उसे आतंकित करती हो गी तभी तो वह इतना बड़ा खतरा उठाता था।लड़की सोचती है क्या नर्वस ब्रेकड़ाउन होने वाले लोगों की गंध की कोई खास किस्म होती है। आंचानक क्यों लड़की को बर्ड शों में साइकिल चलाता अफ्रीकन तोता याद आ गया।लड़की के सपनों में प्रेमिका के पास जाता जां.पां. साइकिल चलाते अफ्रीकन तोते में बदल जाता जिसे बिस्कुट दिखाती उसकी ट्रेनर कहती है कम आँन स्कैन,कम आन स्कैन और जब वह उसे मिलने आया था तो कितनी आसानी से यह बात छिपा गया था कि उसकी दूसरी बीवी है और वह गंधहीन नही है,गंध मुक्त नहीं है और भरपूर गंधवाले रिश्तें तलाशती इस लड़की ने बह्तर घंटे एक झूठ जिया था और फिर लड़की बहुत रोयी थी।ठीक जैसे कहानी के शुरु में बताया जा चुका है सुबक-सुबक कर नहीं, आराम से धीमें धीमें और उसके आँसू लगातार बहते रहते थे।
लड़की सोचती है कितनी आसानी से आप दाँतों की कतारे गिन मछली की किस्म का अंदाज़ा लगा लेते हैं,ऐसा ही कोई मापदंड लोगों के लिए क्यो नहीं है। लडकी पुरानी गंधों से मुक्त नहीं हो पाती।
लड़की का ध़्यान मछली से हट ही नही रहा।लड़की उदास है।लड़की को कभी गुलाबों से मोह था पर वह अब खत्म हो गया था।अब लड़की को पंसद आते हैं बैंगनी फुल।लड़की आम लोगों से बहुत जल्द बोर होजाती है।लड़की रिश्तों के पीछे भागती है।लड़की रिश्तों से भी भागती है।लडकी वैज्ञानिक है पर सीधी लाइन तर नही खींच पाती ।एक सीधा फ्यूज तक नहीं लगा पाती।लड़की भरपुर गंधों वाले रिश्ते चाहती है पर लड़की को मिलते हैं अंजीर की किस्म के रिश्ते,एक अंजीर की किस्म होती है जो अपनी ज़िन्दगी के पहले कुछ साल अपनी सारी ज़रुरतें पुरी करती है एक पाम की किस्म पर।और कुछ साल पाम पर जीने के बाद अपनी जड़े ज़मीन में छोड़ने से पहले वह पाम को कसकर घोंट देती है और अंजीर की इस किस्म को कहते हैं फाँसी लगाने वाली अंजीर और ट्रेजडी यह है कि अंजीर की यह किस्म फल भी नही देती ।लड़की के ज़हन से मछली निकल दही नहीं रही और लड़की बेहद उदास हो जाती है।
लड़की सोचती है वह लौट कर एक सुंदर सी कहानी लिखेगी।उस कहानी में होंगे ख़ूबसूरत पाम,उस कहानी में होंगे फल देने वाले अंजीर,उस कहानी में होंगे पीले गुलाब,उस कहानी में होंगे गहरे उनाबी रंगों वाले फ्लैमिन्गो और उस कहानी में होगे सफेद मोर और उस कहानी में होगी नीली गर्दनों वाली बत्तखें और उस कहानी में होंगे सफेद राजहंस जो उम्रभर एक-दूसरे के साथ रहते हैं और एक-दूसरे से प्यार करते हैं।लड़की कहानी के बाद सोचती है,सपनों की बात सोचती है पर लड़की मछली से अपना ध्यान हटा नहीं पा रही।पर आंचानक लड़की के ज़हन में आता है और वह सोचती है समुद्र में शार्क मछली से ज्यादा खतरनाक कोई मछली भी रही होगी जो शार्क मछली को इस तरह नोच गयी और वह अश्वस्त हो जाती है।
हंस,नवम्बर 1989
अरसे से कुछ लिखा नही था,यह कहानी मनमोहन सरलजी और दोस्त जहरा अहमद और खुर्शींद भाई के खास आग्रह पर लिखी है और उन्हे तीनों को समर्पित है।जिन्हें लिखने पर हमेशा मुझसे कही ज्यादा भरोसा रहा है ।